Wednesday, 26 April 2017

कुछ तो खबर होगी

 हम चुप भले हो
तुमने सुना तो कुछ होगा
ना दिखा कर नज़रे हमें
मगर तुमने देखा तो हमें भी होगा
करीब से गुज़र जाने वाली
तुम्हे कुछ तो ख़बर मेरी भी होगी

या नही हो कोई ख़बर
तो यू ही किसी रोज़
आकर सामने से मेरे गुज़र जाना
मेरे खयाल को एक छोटा किस्सा बना जाना
मैं समझ लूँगा -
'याद नही मैं तुम्हे, मगर किस्सा तो कोई तुम्हे भी याद है
हमारा तुम्हारा , जो रूठ कर बैठी अभी तक हो'
जो याद है हमको
जो याद है तुमको
कहीँ तो होगी मोहब्बत हमारी
जिसकी खबर हमे भी होगी
जिसकी खबर तुम्हें भी होगी

Saturday, 15 April 2017

याद नहीं रहता

तुम्हे भूल जाना चाहता हूँ
मगर याद नही रहता
भूलूँ भी तो किसे, 
जिसे मै भूल जाना चाहता हूँ
या जिसे मैं याद करना नहीं चाहता

भूल जाने की इसी कश्मकश में 
तुम्हें भूल जाना मुझे याद नहीं रहता