तुझे बस ख्वाबो में देखा है
आज हक़ीक़त में देख लू
तो क्या हर्ज़ है
तेरी मोहब्बत बस बातो में सुनी है
इश्क़ इन बातों से करलूँ
तो क्या हर्ज़ है
सपनो में तो मेने कई बार तेरी आँखे देखी है
आज इन नज़रो में झाँक लू
तो क्या हर्ज़ है
ज़िन्दगी में एक बार तो सबको देखता हूँ
तुझे रोज़ रोज़ बार बार देख लू
तो क्या हर्ज़ है
अब जब इतनी मोहब्बत तुझसे करता हूं
तो बदले में थोड़ा प्यार मांग लू
तो क्या हर्ज है
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